शनिवार, 3 अप्रैल 2010

रोमांस

ये इश्क नहीं आसाँ..
'मुझे तो अब भी यकीन नहीं हो रहा यार कि राजेश ने सोनम के अलावा किसी और से शादी कर ली। आदमी इतना बदल कैसे जाता है?' सचिन के मुँह से यह वाक्य सुनकर अब तक चुपचाप बैठे मनीष ने कहा, 'हाँ यार, राजेश और सोनम को हम लोग दो जिस्म एक जान समझा करते थे। कॉलेज के दिनों में कैसे दोनों के चेहरे हमेशा फूल की तरह खिले रहते थे।
कॉलेज के लड़के-लड़कियाँ उनके प्रेम को अपना आदर्श मानते थे। मैंने तो सपने में भी नहीं सोचा था कि राजेश सोनम के अलावा किसी और से शादी करने के बारे में सोच तक सकता है। 'सोनम और राजेश की यह कहानी अकेले उनकी ही नहीं है। कॉलेज जाने वाला हर लड़का और लड़की प्रेम के इस दरिया में डुबकियाँ लगाना चाहते हैं। यह बात अलग है कि ज्यादातर की परिणति वही होती है, जो राजेश और सोनम के प्यार की हुई। कॉलेज के संबंध बेवफाई की एक अंतहीन दास्ताँ है। यह कोई नया ट्रेंड भी नहीं है। हमेशा से ऐसा होता रहा है।
यह बात अलग है कि कॉलेज जाने वाला हर लड़का और लड़की प्रेम करना चाहते हैं, लेकिन कुछ ही किस्मत वाले होते हैं जो तमाम बाधाओं के बावजूद कॉलेज के दिनों के कसमें-वादों को उम्र भर हमसफर बनकर निभाते हैं। एक शायर ने भी कहा है-
'ये इश्क नहीं आसाँ इतना तो समझ लीजै,
एक आग का दरिया है और डूब के जाना है।'
ये दो पंक्तियाँ प्यार की कठिन डगर को बयान करने के लिए काफी हैं। फिर भी सब कुछ जानते हुए भी लड़के-लड़कियाँ इस दरिया में कूद ही जाते हैं।
समाज में लैला-मजनू के किस्से बेशक ध्यान से सुने जाते हों, लेकिन समाज को यह कतई मंजूर नहीं कि इस तरह की प्रेम कहानी उसका हिस्सा भी बने। फिर भी गली-मोहल्लों से लेकर कॉलेजों तक प्यार में दिल लूटने-लुटाने वालों की कमी नहीं रहती। हर लड़के-लड़की का ख्वाब होता है कि उसके सपनों का हमसफर उसे कहीं जिंदगी की राहों पर टकरा जाए।
इसी कामना के वशीभूत वे एक-दूसरे में अपने प्यार का प्रतिबिंब तलाशते हैं। जहाँ भी इस प्रतिबिंब की झलक दिखाई देती है, वहीं नजदीकियाँ बढ़ने लगती हैं। ये नजदीकियाँ प्यार में बदलती हैं, जिसकी परिणति अक्सर बेवफाई के रूप में सामने आती है।
वास्तव में देखा जाए तो प्यार की अग्निपरीक्षा शादी ही है। पर देखा गया है कि प्रेम की गाड़ी में सवार होकर चलने वाले इस अग्निपरीक्षा में अक्सर असफल हो जाते हैं। कॉलेज के प्रेम संबंधों का अक्सर दुखांत होता है। ऐसा आखिर क्यों है? यह सवाल प्रेम संबंधों के समाजशास्त्र में एक फाँस की तरह अटका हुआ है?
कॉलेज में जो लड़का-लड़की एक पल भी एक-दूसरे के बगैर चैन से नहीं रह पाते, कॉलेज छोड़ते ही अक्सर एक-दूसरे को यूँ भूल जाते हैं जैसे ट्रेन में सफर के यात्री अपने स्टेशन के प्लेटफार्म पर उतरते ही अजनबी हो जाते हैं। अगर किसी का प्यार किसी तरह से शादी की मंजिल तक पहुँचता भी है, तो देखने में आता है कि वह अक्सर टूट जाता है। आखिर ऐसा क्यों होता है?
वास्तव में इसकी प्रमुख वजह यही है कि ये रिश्ते केवल दिल की भावनाओं पर टिके होते हैं। भावनाएँ भी ऐसी, जो एक हल्की सी ठोकर में ही चकनाचूर हो जाएँ। अक्सर कहा जाता है कि भावनात्मक आदमी अपने जीवन में कभी खुश नहीं रह सकता। यह बात सोलह आने सच है। भावनाएँ सपनों की आधारशिला पर टिकी होती हैं।
दूसरी तरफ सपनों का वास्तविकता से कोई लेना-देना नहीं होता। जब एक लड़का और एक लड़की प्रेम के मोहपाश में बँधते हैं, तो उनकी दुनिया सिर्फ और सिर्फ अपने तक ही सीमित होकर रह जाती है। वे सुबह सोकर उठने से लेकर रात को सोने तक केवल एक-दूसरे के बारे में ही सोचते हैं। इतना ही नहीं, सोने से पूर्व भगवान से यह प्रार्थना करना नहीं भूलते कि रात को सपने में उसका प्रिय दिखाई दे।
प्यार को अगर नशा कहा गया है तो यह सही ही कहा गया है। जिस तरीके से नशेड़ी को दुनियादारी से कोई लेना-देना नहीं होता ठीक उसी तरह प्रेमी युगल का समाज के बंधनों अथवा रीति-रिवाजों से कोई सरोकार नहीं होता। यह प्यार सिर्फ 'टाइमपास' के लिए होता है। कॉलेज के दिनों में प्रेमी-प्रेमिकाओं की मुहब्बत मंजिल नहीं पाती अगर कोई जोड़ा शादी कर भी लेता है, तो ज्यादातर की शादी टूट जाती है क्योंकि शादी के बाद वे एक-दूसरे का वास्तविक स्वरूप देखते हैं, जो अक्सर कल्पनाओं से भिन्न होता है।
यही वह चीज होती है जो दोनों को अलगाव की नींव तक ले जाती है। जो लोग वास्तविकता से समझौता कर लेते हैं, वे तो सफल हो जाते हैं। जो सिर्फ अपनी कल्पनाओं को ही साकार देखना चाहते हैं, उनके बीच दूरियाँ बढ़ने लगती हैं। यही दूरी आखिर में दोनों को अलगाव की दहलीज तक खींचकर ले जाती है। यह अलगाव कई बार सामान्य अलगाव से अलग और उलझन भरा होता है। कहते हैं कि प्यार जब नफरत में बदल जाए तो वह ज्यादा खतरनाक होता है। यही वजह है कि जब दो प्रेमियों के बीच शादी के बाद अलगाव होता है तो उसकी प्रक्रिया काफी कष्टदायी होती है।
इस तरह के सैकड़ों उदाहरण हमारे सामने हैं। ये उदाहरण इस बात की पुष्टि करते हैं कि सपनों का टूटना आदमी को पागलपन की हद तक पहुँचा देता है। कॉलेज के ऐसे प्रेम-संबंध जो शादी की परिणति तक पहुँचते हैं, उनमे से नब्बे फीसदी अलगाव की भेंट चढ़ जाते हैं। यह सारा खेल सपनों के बनने एवं उनके टूटने पर टिका है। सच कहा जाए तो प्यार की दुनिया स्वप्निल दुनिया है। जब तक जमीनी सच्चाई से इसका मेल-मिलाप नहीं होता, तब तक इस दुनिया पर खतरे के बादल मँडराते रहते हैं।
शादी से पूर्व लड़की ख्वाब देखती है कि मेरा प्रेमी मुझे राजकुमारी की तरह रखेगा। लड़का सोचता है कि प्रेमिका मेरे सारे दुःखों को एक ही झटके में समाप्त कर देगी। लेकिन शादी के बाद ठीक इसके विपरीत होता है। इस विपरीत परिस्थिति से वे सामंजस्य नहीं बिठा पाते और गंभीर परिणाम भुगतते हैं। अतः कितना अच्छा हो कि यदि कल्पनाओं पर आधारित प्रेम को हकीकत की तराजू पर पहले ही तौलकर देख लिया जाए।

अनाम रिश्ता बेनाम उलझनें
हेलो दोस्तो! आपसे जुड़े ज्यादातर रिश्ते ऐसे होते हैं जिनको आप किसी न किसी नाम से पुकारते हैं। उन रिश्तों के बारे में सोचने की आपको जरूरत ही नहीं पड़ती है। उनके प्रति आपका फर्ज एवं अधिकार मानो जन्म से ही समझा दिया गया होता है इसीलिए बिना किसी विचार-विमर्श के सहजता से आप उसे निभाते चले जाते हैं। करीबी रिश्तेदार, दूर के रिश्तेदार इन सबकी भी एक श्रेणी बन जाती है। आप अपनी सुविधा और पसंद के अनुसार उनके साथ भी तालमेल बिठा लेते हैं।
इसी प्रकार दोस्तों की भी कई श्रेणियाँ होती हैं, वर्ग होते हैं। कुछ ऐसे होते हैं जिनसे आप हमेशा मिलते हैं पर उनसे आपका अपनापन नहीं होता है। कुछ ऐसे होते हैं जो आपका दुख-दर्द सुन तो लेते हैं पर उससे ज्यादा वे और कुछ नहीं करते। एक या दो दोस्त ऐसे होते हैं जिनसे आपकी महीनों बात नहीं होती पर मुसीबत में आप उन्हें फोन करते हैं और आपकी बातों और आवाज से उन्हें लगता है कि आपको उनकी हमदर्दी की जरूरत है। वह आपसे परेशानी पूछते हैं, आपको दिलासा देते हैं और उनसे कुछ बन पड़ता है तो वे आपके लिए करते भी हैं।पर, कई बार आप एक विचित्र से रिश्ते में पड़ जाते हैं। न तो उसका कोई नाम होता है और न ही आपको यह पता होता है कि आपका उस व्यक्ति पर कितना अधिकार है। इतना ही नहीं, आपका उस व्यक्ति के प्रति क्या कर्तव्य होना चाहिए यह भी आप नहीं समझ पाते हैं। कभी आप उससे हफ्तों नहीं मिलते और जब मिलते हैं तो खूब अधिकार से झगड़ा करते हैं। आपकी यही ख्वाहिश होती है कि आपको वह मनाए, आपकी सारी शिकायतों पर माफी माँगे, कान पकड़े और सारी गलतियों को सर आँखों पर ले।
उनसे फूलों का उपहार लेना और घंटों बैठकर गप्पें लगाना आदि आपको दिल व जान से प्यारा होता है। इन सबके बावजूद आप उस रिश्ते को वहीं तक ठहरा देते हैं, उसे कोई नाम नहीं देते और उसके स्थायित्व पर भी प्रश्नचिह्न लगा रहता है पर ऐसे रिश्ते में मुश्किल यह होती है कि दूसरा पक्ष अपने बारे में कोई निर्णय नहीं कर पाता है और वह अपने भविष्य के बारे में कोई फैसला नहीं ले पाता है। यह दुविधा उसकी परेशानी का सबब बनती है।
इसी कशमकश में आज घिर गए हैं अरुण आहूजा (बदला हुआ नाम)। अरुण की एक दोस्त हैं। दोनों बातचीत में बेहद करीबी महसूस करते हैं पर अरुण की दोस्त अपनी ओर से पहल नहीं करतीं। यदि अरुण एक या दो सप्ताह तक बात न करें तो वह खोज-खबर नहीं लेतीं लेकिन अरुण द्वारा संपर्क करने पर उनसे खूब लड़ती-झगड़ती हैं, शिकायतों की झड़ी लगा देती हैं।
यह कहते हुए कि तोहफों पर पैसे क्यों खर्च करते हो, फूल और अन्य उपहार से खुश भी हो जाती हैं। पर यह पूछने पर कि इस रिश्ते का भविष्य क्या है ? क्या हमेशा साथ रहने के बारे में सोचा जा सकता है? तो अरुण की दोस्त का जवाब होता है, 'अभी इस रिश्ते में प्यार शामिल नहीं हुआ है। हम केवल दोस्त हैं।' अरुण की परेशानी यह है कि वह इस रिश्ते को समझ नहीं पा रहे हैं। इस रिश्ते पर अपना कितना समय लगाएँ या समय देना उचित है या नहीं यह उन्हें समझ में नहीं आ रहा है।अरुण जी, आपकी दोस्त ने यूँ तो साफ लफ्जों में आपको कह दिया है कि वह केवल दोस्त हैं। प्यार उन्हें नहीं है इसलिए भविष्य के बारे में उनकी कोई योजना नहीं दिखती है फिर भी आप रिश्ते में जटिलता महसूस करते हैं। आप इसलिए परेशान हैं कि आप जो उनसे सुनना चाहते थे वह आप नहीं सुन पा रहे हैं। शायद आप अपनी दोस्त को प्यार करते हैं इसलिए उसको खुश करने का जतन करते हैं। यह बात तो साफ है कि आप दोस्त से ज्यादा उन्हें अपने जीवन में जगह देते हैं तभी उनका व्यवहार आपको विचलित किए रहता है।
आपकी दोस्त आपको प्यार नहीं करती बल्कि केवल दोस्त समझती है। यदि कहीं उनके भीतर प्यार की भावना है भी तो वह उसे अभी महसूस नहीं कर पा रही हैं। सच्चाई यह है कि उनकी नजर में आपके प्यार की कोई अहमियत नहीं है। आपको इस रिश्ते को केवल दोस्ती की श्रेणी में रखकर आगे बढ़ जाना चाहिए। साथ समय बिताना अच्छा लगता है तो समय बिताएँ पर उससे ज्यादा अपेक्षा न करें।
आप कुछ कदम ऐसा उठा सकते हैं जिससे आपकी दोस्त को इस रिश्ते को समझने में सहायता मिल सकती है। आपके प्रति उनके मन के भीतर क्या है वह समझ सकती है। आप उसे साफ तौर पर कह दें कि आप अपनी जीवनसाथी तलाश कर रहे हैं। यह बात आपकी ओर से गंभीरता से सामने आनी चाहिए। आप कोई तोहफा उन्हें अब नहीं दें। उन्हें संपर्क करने दें। एक माह तक संपर्क न करें।
यदि वह संपर्क नहीं करती हैं तो आप एक माह बाद यह बताएँ कि आप लंबे रिश्ते की तलाश में हैं इसीलिए समय नहीं मिला। जब उन्हें आपको खो देने का डर होगा तब वह गंभीरता से आपके बारे में विचार कर पाएँगी। रिश्ते को लेकर यह चिंतन व मंथन बेजा नहीं जाएगा। आप दोनों बेहतर तौर पर अपने भविष्य की योजना बना पाएँगे। इन सारी प्रक्रिया से गुजर कर आपकी दोस्ती भी अच्छी मजबूत हो जाएगी और भावनाओं के पैमाने का भी पता चल जाएगा।

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