शुक्रवार, 19 मार्च 2010

सामयिक

क्यों तुम जाती हो!

सरकती है सिरहाने से धूप
कि तुम जाती हो
ये राह सिहरी-सी खड़ी
देखती है तुम्हें
कि तुम जाती हो

यह पल अकेला है
बहुत अकेला
कि उतार दिया है तुमने पुतलियों से उसे

यह साँझ जो जाने को है अभी
ठिठकी खड़ी है पीपल की पत्तियों के बीच
देखती-सी
कि तुम जाती हो

ये आ रही आवाज विकल-सी किसी मोर की
उठ रही बीच जंगल से
या मेरे भीतर से ही कहीं
कि तुम जाती हो

पलट कर देखती तो देख पाती
जिसको सँभाला तुमने जतन से
हिल रहा वही मन पात ऐसे
जैसे डोलता है शिशु कोई
धरती पर कदम धरते

देखो तो सही
देखो न
ओ प्राण मेरी
कि रात आती है
कि तुम जाती हो।

आलिंगन का विश्व रिकॉर्ड
अमेरिका के शहर ग्रेटर मैनचेस्टर में लड़कों के एक जोड़े ने सबसे लंबे समय तक के आलिंगन का विश्व कीर्तिमान स्थापित किया है।
फैसल मोहिऊद्दीन और मोहम्मद अजीम नामक दो छात्र 24 घंटे और 17 मिनट तक लगातार एक दूसरे से लिपटे रहे। इससे पहले ये रिकॉर्ड 24 घंटे और एक मिनट का था।
इन छात्रों ने ये काम ऑल्डहम में खोले जा रहे क्रिस्टी कैंसर यूनिट के लिए पैसे जुटाने के लिए किया है। 17 मिलियन डॉलर की लागत से बना यह अस्पताल इस हफ्ते के अंत में खोला जा रहा है।
ये दोनों लड़के सेलफोर्ड यूनिवर्सिटी के छात्र हैं और उनका कहना है कि उन्होंने ये काम इसलिए किया क्योंकि हर व्यक्ति पर कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी का खतरा है।
आलिंगन है प्रतीक चिन्ह : आलिंगन के समय दोनों पर हर समय निगरानी रखी जा रही थी और इन्हें हर समय जागते रहना था। फैसल मोहिऊद्दीन एक प्रतिभाशाली धावक हैं और 2012 के ओलिम्पिक प्रतियोगिता में शामिल होना चाहते हैं।
आलिंगन के बारे में वो कहते हैं, 'निश्चित तौर पर ये एक बड़ा मुकाबला था।'
फैसल मोहिऊद्दीन कहते हैं, 'मुझे इसके लिए सभी संरक्षित ऊर्जा की जरूरत थी, लेकिन मैं आशान्वित था कि रिकॉर्ड तोड़ दूँगा।'
इस बारे में क्रिस्टी अस्पताल की एलिसिया कस्टिस ने कहा, 'मेरी तरफ से फैसल मोहिऊद्दीन और मोह्म्मद अजीम को विश्व रिकॉर्ड बनाने के लिए ढेर सारी शुभकामनाएँ, इन लोगों ने बहुत ही शानदार प्रदर्शन किया। दोनों ने नींद और थकावट के खिलाफ लडा़ई लड़ी।'
उनका कहना था, 'मैं जानती हूँ ये एक बहुत ही कठिन काम था और अस्पताल के लिए ऐसा करने के लिए मैं उनका बहुत ही आभारी हूँ। ये आलिंगन हमारे कैंसर मरीजों के लिए था।'
दिलचस्प बात यह है कि क्रिस्टी अस्पताल की ओर से दान की जो अपील की जाती है उसका प्रतीक चिन्ह आलिंगन ही है।

तुम्हारे लिए, तुम्हारे बिना
खिले थे गुलाबी, नीले,
हरे और जामुनी फूल
हर उस जगह
जहाँ छुआ था तुमने मुझे,
महक उठी थी केसर
जहाँ चूमा था तुमने मुझे,
बही थी मेरे भीतर नशीली बयार
जब मुस्कुराए थे तुम,
और भीगी थी मेरे मन की तमन्ना
जब उठकर चल दिए थे तुम,
मैं यादों के भँवर में उड़ रही हूँ
अकेली, किसी पीपल पत्ते की तरह,
तुम आ रहे हो ना
थामने आज ख्वाबों में,
मेरे दिल का उदास कोना
सोना चाहता है, और
मन कहीं खोना चाहता है
तुम्हारे लिए, तुम्हारे बिना।

सनी देओल का गणित
सनी देओल का फिल्म बनाने का गणित इन दिनों डायरेक्टर नीरज पाठक के इर्दगिर्द घूम रहा है। पिछले वीक दोनों की ‘राइट या रांग’ प्रदर्शित हुई। फिल्म तो राइट है, मगर रिलीज का टाइम रांग चुन लिया गया। परीक्षा और आईपीएल का इस समय जोर है। पब्लिसिटी के पैसे इस कदर बचाए गए कि लोगों को पता ही नहीं चला कि इस नाम की कोई फिल्म रिलीज हुई है। नतीजा यह निकला कि फिल्म को वो सफलता नहीं मिली जितने कि वो हकदार थी। लेकिन सनी की नजर में नीरज जँच गए।
दोनों साथ मिलकर सनी की होम प्रोडक्शन ‘द मैन’ अरसे से बना रहे हैं और संभव है कि इसके निर्माण में अब तेजी आए। इसके अलावा सनी और नीरज मिलकर ‘गणित’ नामक एक और फिल्म शुरू करने जा रहे हैं। यह एक पॉलिटिकल थ्रिलर होगी।
नीरज के मुताबिक स्क्रिप्ट लगभग तैयार है और फिल्म की शूटिंग कुछ महीनों बाद शुरू की जाएगी। तब तक सनी ‘यमला पगला दीवाना’ से फ्री भी हो जाएँगे। फिल्म में दो हीरो और लिए जाएँगे। ये कौन होंगे, यह अब तक फाइनल नहीं किया गया है।
‘राइट या रांग’ को मिली प्रशंसा ने सनी को उत्साह से भर दिया है और वे एक बार फिर जोर-शोर से अपने काम में जुट गए हैं।
फिल्म समीक्षा
लव सेक्स और धोखा :
बैनर : बालाजी टेलीफिल्म्स, एएलटी एंटरटेनमेंट, बालाजी मोशन पिक्चर्स
निर्माता : एकता कपूर, शोभा कपूर, प्रिया श्रीधरन
निर्देशक : दिबाकर बैनर्जी
संगीत : स्नेहा खानविलकर
कलाकार : अंशुमन झा, श्रुति, राजकुमार यादव, नेहा चौहान, आर्या देवदत्ता, अमित सियाल
ए सर्टिफिकेट * एक घंटा 43 मिनट
रेटिंग : 3/5

‘लव सेक्स और धोखा’ एक एक्सपरिमेंटल फिल्म है, जो कैमरे और टेक्नालॉजी की पर्सनल लाइफ में दखल को दिखाती है। हर आदमी के पास इन दिनों कैमरा है और जब चाहे वो इसका उपयोग/दुरुपयोग कर रहा है।
कैमरे की आँख हम पर लगातार नजर रखे हुए है। मीडिया इसके जरिये स्टिंग ऑपरेशन कर रहा है। लेकिन उसका उद्देश्य सच्चाई को समाने लाने की बजाय सनसनी फैलाना और प्राइम टाइम में मनोरंजन देना है।
अश्लील एमएमएस की इन दिनों डिमांड है क्योंकि दूसरों के निजी क्षणों को देखना बड़ा अच्छा लगता है। हर कोई रियलिटी देखना चाहता है। कई बार लोगों को पता ही नहीं चलता और ये वेबसाइट पर अपलोड कर दिए जाते हैं।
निर्देशक दिबाकर बैनर्जी ने अपनी फिल्म को तीन कहानियों में बाँटा है। पहली स्टोरी में लव दिखाया गया है। फिल्म इंस्टीट्यूट का स्टुडेंट डिप्लोमा फिल्म बनाते हुए हीरोइन से प्यार कर बैठता है।
टीनएज में प्यार को लेकर तरह-तरह की कल्पनाएँ होती हैं। ‘डीडीएलजे’ जैसी फिल्मों का नशा दिमाग पर छाया रहता है। इस कहानी के किरदार भी राज और सिमरन की तरह व्यवहार करते हैं, लेकिन उनकी लव स्टोरी का ‘द एंड’ राज और सिमरन की तरह नहीं होता है क्योंकि रियलिटी और कल्पना में बहुत डिफरेंस है। तीनों कहानी में ये वीक है क्योंकि इसमें नाटकीयता कुछ ज्यादा हो गई है। इस स्टोरी को हाथ में कैमरा लेकर फिल्माया गया है।
दूसरी कहानी डिपार्टमेंटल स्टोर में लगे सिक्यूरिटी कैमरे की नजर से दिखाई गई है। इस कैमरे की मदद से वहाँ काम करने वाला आदर्श एक पोर्न क्लिप बनाना चाहता है। रश्मि नामक सेल्सगर्ल का वह पहले दिल जीतता है और फिर स्टोर में उसके साथ सेक्स कर वह क्लिप को महँगे दामों में बेच देता है। यहाँ बताने की कोशिश की गई है कि हर ऊँची दुकान या मॉल्स में आप पर कड़ी नजर सिक्यूरिटी के बहाने रखी जा रही है, लेकिन इसका दुरुपयोग भी हो सकता है।

तीसरी कहानी को स्पाय कैमरे के जरिये दिखाया गया है। एक डांसर को म्यूजिक वीडियो में मौका देने के बहाने एक प्रसिद्ध पॉप सिंगर उसका शारीरिक शोषण करता है। डांसर की मुलाकात एक जर्नलिस्ट से होती है, जिसकी मदद से वे सिंगर का स्टिंग ऑपरेशन करते हैं।
यहाँ मीडिया को आड़े हाथों लिया गया है, जो इस फुटेज के जरिये सच्चाई को सामने लाने के बजाय अपनी टीआरपी को ध्यान रखता है। वे इस कहानी को सीरियल की तरह खींचकर पैसा बनाना चाहते हैं।
तीनों कहानियों को बेहतरीन तरीके से जोड़ा गया है और आपको अलर्ट रहना पड़ता है कि कौन-सा कैरेक्टर किस स्टोरी का है और इस स्टोरी में कैसे आ गया है।
फिल्म के सारे कलाकार अपरिचित हैं, लेकिन उनकी एक्टिंग सराहनीय है। कभी नहीं लगता कि वे एक्टिंग कर रहे हैं। ऐसा लगता है कि वे हमारे आसपास मौजूद हैं और हम कैमरे के माध्यम से उन पर नजर रखे हुए हैं।
डायरेक्टर दिबाकर बैनर्जी की पकड़ पूरी फिल्म पर है। एक्सपरिमेंटल और रियलिटी के करीब होने के बावजूद फिल्म इंट्रस्टिंग लगती है। अपने एक्टर्स से उन्होंने बखूबी काम लिया। सिनेमाटोग्राफर निकोस ने कैमरे को एक कैरेक्टर की तरह यूज़ किया है। नम्रता राव की एडिटिंग तारीफ के काबिल है।
‘लव सेक्स और धोखा’ उन लोगों के लिए नहीं है जो टिपिकल मसाला फिल्म देखना पसंद करते हैं। आप कुछ डिफरेंट की तलाश में हैं तो इसे देखा जा सकता है।

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