गुरुवार, 25 मार्च 2010

देह में सितार

तेरी आँखों ने चूमा मुझे देर तक
शबनम इंदौरी
कल तेरी आँखों ने चूमा मुझे देर तक
कल मेरी देह में सितार बजे देर तक,

कल तेरी हथेलियों के गुलाब
बालों में महके रात भर
कल मेरी मन-नदी के
भँवर तुझमें पड़े रात भर,

कल तेरी एक बात
चहकती रही साँझ ढले
कल मेरी एक हँसी
महकती रही चाँद तले,

कल तुम फिर ना आए
मैं देखती रही एकटक
कल मेरी चू‍ड़‍ियाँ
खूब रोई सिर पटक,

कल यादों की गली में
भटकती रही बार-बार
कल तुम मुझे भूल गए
और दिल हुआ तार-तार।

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