सोमवार, 11 जनवरी 2010

पर्यटन

जश्न में डूबा मांडू का चप्पा-चप्पा
प्रकृति के मनमोहक नजारों व ऐतिहासिक इमारतों के बीच 2009 की खट्टी-मीठी यादों को अलविदा कहने और 2010 यानी नए साल के स्वागत का जश्न मनाने हजारों पर्यटक मांडू पहुँच चुके हैं। मांडू का चप्पा-चप्पा पूरी तरह से जश्न में डूबा हुआ है। ऐसा अनुमान है कि दो दिनों में लगभग 25 से 30 हजार पर्यटक मांडू की तरफ रुख करेंगे। इधर मांडू की होटलें व ठहरने के सभी स्थान एक माह पूर्व ही बुक हो चुके हैं। मप्र पर्यटन विकास निगम की मालवा रिसॉर्ट के प्रबंधक अशोक अरोरा ने बताया कि नए वर्ष के चलते पूरा रिसॉर्ट बुक हो चुका है। यहाँ के सभी 20 एसी एवं 10 नॉन एसी रूम में बुकिंग एक सप्ताह पूर्व हो चुकी है।

बरसात में जाएँ महाकेदारेश्वर
बरसात के मौसम में महाकेदारेश्वर मंदिर की खूबसूरती हरितिमा की चादर ओढ़ी चट्टानों से ओर भी अधिक बढ़ जाती है। मध्यप्रदेश के आदिवासी अंचल के ग्राम सैलाना से लगभग 3 से 4 किलोमीटर की दूरी पर महाकेदारेश्वर का मंदिर स्थित है। यह मंदिर चट्टानों की तलहटी में स्थित है। जहाँ पहुँचने के लिए आपको प्रवेश द्वार से चट्टानों के बीच बनी पक्की सड़क से लगभग 1 किलोमीटर की दूरी तय करना पड़ेगी। इस दौरान आपको ऊँची-ऊँची चट्टानों से फिसलते छोटे-छोटे झरनों के खूबसूरत नजारे देखने को मिलेंगे।

सौंदर्य से परिपूर्ण हैं नर्मदा की संगमरमरी चट्टानें
उद्गम से लेकर सागर समागम तक नर्मदा का जो तेज, जो सौंदर्य, जो अठखेलियाँ और जो अदाएँ दिखाई देती हैं वे जबलपुर के अलावा अन्यत्र दुर्लभ हैं। प्रकृति ने तो इस क्षेत्र में नर्मदा को अतुलित सौंदर्य प्रदान किया ही, स्वयं नर्मदा ने भी अपने हठ और तप से अपने सौंदर्य में वृद्धि इसी क्षेत्र में की है। यहाँ नर्मदा ने हठ और तप से रास्ता भी बदला है। पहले कभी वह धुआँधार से उत्तर की ओर मुड़कर सपाट चौड़े मैदान की ओर बहती थी। उसकी धार के ठीक सामने का सौंदर्य संभवतः नर्मदा को भी आकर्षित करता होगा।

अमर प्रेम कहानी का साक्षी मांडू
मांडू मध्यप्रदेश का एक ऐसा पर्यटनस्थल है, जो रानी रूपमती और बादशाह बाज बहादुर के अमर प्रेम का साक्षी है। यहाँ के खंडहर व इमारतें हमें इतिहास के उस झरोखे के दर्शन कराते हैं, जिसमें हम मांडू के शासकों की विशाल समृद्ध विरासत व शानो-शौकत से रूबरू होते हैं। कहने को लोग मांडू को खंडहरों का गाँव भी कहते हैं परंतु इन खंडहरों के पत्थर भी बोलते हैं और सुनाते हैं हमें इतिहास की गाथा। हरियाली की खूबसूरत चादर ओढ़ा मांडू विदेशी पर्यटकों के लिए विशेष तौर पर एक सुंदर पर्यटनस्थल रहा है।

अपने में इतिहास समेटे बाग की गुफाएँ
मध्यप्रदेश के धार जिले में स्थित विश्व प्रसिद्ध बाग की गुफाएँ हैं जो अपने भित्ति चित्रों की वजह से अजंता के समकक्ष मानी जाती हैं। इन्हें भारत सरकार ने राष्ट्रीय महत्व का सुरक्षित पुरा स्मारक घोषित कर रखा है। बाग नदी और बाग कस्बे के नाम की वजह से इन गुफाओं को 'बाग की गुफाओं' के नाम से जाना जाता है। गुफाओं के बनाने के लिए खूबसूरत जगह का चुनना यह बताता है कि बाग गुफा मंडप के निर्माता प्राकृतिक सौन्दर्य के उपासक थे।

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