बुधवार, 17 फ़रवरी 2010

पर्यटन

रंगीले राजस्थान का नागौर का किला
नागौर का किला

रंग-रंगीला राजस्थान अपनी नायाब खूबसूरती व रजवाड़ी शान के प्रतीक किलों और महलों के कारण सदा से ही पर्यटकों के आकर्षण का प्रमुख केंद्र रहा है। आज हम राजस्थान के मध्य भाग में बसे एक ऐसे ही पर्यटनस्थल 'नागौर' की सैर करते हैं तथा यह जानते हैं कि नागौर क्यों है पर्यटकों के लिए खास।
जोधपुर से लगभग 137 किमी उत्तर में स्थित है 'नागौर'। नागौर का किला दूर-दूर तक फैली रेत के बीच एक प्रकाशस्तंभ की तरह दिखाई देता है। 4थी शताब्दी में अस्तित्व में आया यह किला राजस्थान के अन्य किलों की तरह ही ऊँची पहाड़ी की चोटी पर स्थित है।
नागौर की सुंदरता यहाँ के पुराने किलों व छतरियों में है, जिसका उत्कृष्ट उदाहरण हमें नागौर में प्रवेश करते ही देखने को मिलता है। इस नगरी में प्रवेश करने के लिए तीन मुख्य द्वार है, जिनके नाम देहली द्वार, त्रिपोलिया द्वार तथा नाकाश द्वार है। नागौर व उसके आसपास के पर्यटनस्थलों में प्रमुख नागौर का किला, तारकिन की दरगाह, वीर अमर सिंह राठौड़ की छतरी, मीरा बाई की जन्मस्थली मेड़ता, खींवसर किला, कुचामन किला आदि है।
किले के भीतर भी छोटे-बड़े सुंदर महल व छतरियाँ हैं, जो हमें राजस्थान के गौरवशाली इतिहास में खीच ले जाते हैं। किले के भीतर तीन सुंदर पैलेस हाडी रानी महल, शीश महल और बादल महल हैं, जो अपने सुंदर भित्ति चित्रों के कारण प्रसिद्ध हैं। इनके समीप ही एक मस्जिद है, जिसे मुगल शासक अकबर ने बनवाया था।

यहाँ पर सूफी संत मोइनुद्दीन चिश्ती की एक दरगाह भी है। इसी के साथ ही किले के भीतर राजपूताना शैली में बनी हुई सैनिकों की सुंदर छतरियाँ भी हैं।

नागौर का मुख्य आकर्षण यहाँ का 'पशु मेला' है, जो यहाँ प्रतिवर्ष वृहद स्तर पर आयोजित किया जाता है। इस मेले में होने वाली मुर्गों की लड़ाई, ऊँट की दौड़, कठपुतली का खेल, राजस्थानी नृत्य आदि भी पर्यटकों के लिए आकर्षण का प्रमुख केंद्र होते हैं। इस मेले में खासतौर पर ऊँट, भेड़, घोड़े, गाय आदि पशुओं का क्रय-विक्रय होता है। सूर्य के अस्त होने के साथ ही नागौर के इस पशु मेले में यहाँ के पारंपरिक लोकनृत्य की गूँज एक सुंदर समा बाँध देती है।

सदा से पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रहा राजस्थान वाकई में अपने भीतर किलों व महलों के रूप में नायब खूबसूरती को समेटे हुए है। एक बार आप भी राजपूतों की इस धरती की सैर जरूर कीजिएगा।

नागौर है विभूतियों की भूमि :
मारवाड़ का नागौर एक ऐसा क्षेत्र है, जो कई ऐसी विभुतियों क‍ी जन्मस्थली है, जिन्होंने पूरी दुनिया में मारवाड़ की माटी का नाम रोशन किया। डिंगल और पिंगल भाषा में कई ग्रंथों की रचना करने वाले प्रसिद्ध कवि वृंद का जन्म नागौर के मेड़ता में हुआ था। मेड़ता कृष्ण भक्त मीराबाई की भी जन्मस्थली है। अकबर के नौ रत्नों में से अबुल फैज और अबुल फजल दोनों भाईयों का जन्म नागौर में ही हुआ था। यही नहीं अकबर के दरबारी बुद्धिमान बीरबल भी नागौर जिले के ही रहने वाले थें।

कैसे पहुँचे नागौर :
भारत की राजधानी नईदिल्ली व राजस्थान की राजधानी जयपुरClick here to see more news from this city से मेड़ता रोड़ के लिए कई बसे उपलब्ध है। मेड़ता रोड़ से नागौर की दूरी 82 किमी है, जिसे आप बस या टैक्सी से तय कर सकते हैं।

किस मौसम में जाएँ :
वैसे तो वर्षभर में कभी भी आप नागौर जा सकते हैं परंतु यहाँ जाने का अनुकूल समय फरवरी से मई तथा अगस्त से नवंबर माह के बीच का समय है।

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