सोमवार, 22 फ़रवरी 2010

सपनों का शहर - ग्वालियर

गोपालचल से 100 मीटर की दूरी पर स्थित है ग्वालियरClick here to see more news from this city किला। 15वीं सदी में राजा मानसिंह ने यह किला बनवाया था। किले की ऊँचाई दस फीट है। तीन बीघा जमीन पर पूरा क्षेत्र स्थित है।
किले के अंदर कदम रखते ही वहाँ पर तीन मंदिर, छः महल एवं जलाशय स्थित हैं। मान्यता है कि उत्तर एवं केंद्र भारत में ग्वालियर किला बहुत ही सुरक्षित है।
राजपूतों का घर ग्वालियर में उनकी बनाई गई ऐतिहासिक इमारतें, स्मारकों, किले, भवन, महलों के रूप में देखे जाने लगे हैं। राजाओं, कवियों, योद्धाओं का शहर ग्वालियर अब आधुनिक एवं आर्थिक क्षेत्र में विकसित रूप में दिख रहा है।
तोमर, मुगल और मराठा ने इन किलों को बनाया था। किले में कई तरह के भव्य मंदिर स्थित है। इन मंदिरों में हजारों भक्त एकत्रित होते हैं। तेली-का-मंदिर में नौवीं सदी के द्रविड़ वास्तुशिल्प से प्रभावित होकर खूबसूरत स्मारक बनाए गए हैं।
ग्वालियर किले में भिन्न प्रकार के महल स्थित हैं जैसे कि करण महल, जहाँगीर महल, शाहजहाँ मंदिर एवं गुरजरी महल आदि।

ग्वालियर किले के पास स्थित हैं-

जय विलास महल एवं संग्रहालय : ग्वालियर शहर में सन् 1809 में बना जय विलास महल जैसा खूबसूरत महल स्थित है। कहते हैं कि यहाँ पर ग्वालियर के महाराजा रहा करते थे। यहाँ के 35 कमरों को संग्रहालय में परिवर्तित कर दिया गया है।
कमरों में प्रदर्शित खूबसूरत चीजों को प्रदर्शित किया गया है। सुसज्जित भवनों में इटली संस्कृति एवं वास्तुशिल्प की झलक देखने को मिलती है।
सूर्य मंदिर -
मोरार के निकट स्थित सूर्य मंदिर के वास्तुशिल्प कला कोणार्क मंदिर से प्रेरित होकर बनाई गई है।

तानसेन स्मारक -
तानसेन भारत के शास्त्रीय संगीत के महान संगीतकार थे। अकबर के नवरत्नों में से एक तानसेन के जीवन का अंतिम समय ग्वालियर में ही गुजरा था। यहीं उनका स्मारक बना हुआ है।

तेली का मंदिर -
आठ से ग्यारह सदी में निर्मित इस मंदिर को भगवान विष्णु को अर्पित किया गया है जो किले के अंदर निर्मित किया गया है। उस सदी का वास्तुशिल्प, मंदिरों एवं इमारतों में झलकती है।

गुरुद्वारा डाटा बंद्धी चोद्ध -

गुरु हरगोबिंद की स्मृति में बनाए गए गुरुद्वारे में हजारों भक्तजन भगवान से मन्नत माँगने आते हैं।
ग्वालियर के प्राचीन वास्तुशिल्प की एक झलक, गुरजरी महल सोलहवीं सदी में बनाया गया था। पंद्रहवी सदी में बनाया गया मान मंदिर महल एवं आठवी सदी में बनाया गया सूरज-कुंड। ग्वालियर किले में प्रवेश करने पर वहाँ के उरबई गेट में जैन तीर्थकरों को देख सकते हैं।

महलों के द्वार प्रात: आठ बजे से खुलकर शाम के पाँच बजे तक खुले रहते हैं।
सबसे अच्छा समय किला भ्रमण करने के लिए नवंबर से लेकर जनवरी महीने तक होता है।

कैसे पहुँचें :

हवाई अड्डाः ग्वालियर के निकट ही स्थित है, हवाई अड्डा जहाँ से आप मुंबई, दिल्ली एवं इंदौर से उड़ान भर कर ग्वालियर के हवाई अड्डे पर पहुँच सकते हैं।
रेल मार्गः ग्वालियर ही सबसे करीब रेल सेवा है। ग्वालियर, दिल्ली-मुंबई, दिल्ली-चेन्नई रेल सेवा मार्ग पर स्थित है। सड़क मार्गः आगरा, दिल्ली, भोपाल के राजमार्ग से ग्वालियर पहुँच सकते हैं।

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