सोमवार, 10 जनवरी 2011

छत्तीसगढ़ की खबरें

सहकारिता आंदोलन में कूदा संघ
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का अनुषांगिक संगठन सहकार भारती सहकारिता का अलख जगाने के लिए गांव-गांव जाएगा। ग्रामीणों को सहकारिता का अर्थ और सामूहिक उत्थान के बारे में बताएगा ताकि शहरों के साथ गांवों का भी विकास हो सके।

भनपुरी स्थित पाटीदार भवन में सहकार भारती के प्रांतीय अधिवेशन के दूसरे दिन संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष सतीश मराठे ने कहा कि आजादी के बाद देश में साम्यवाद का उदय हुआ। इसके बाद समाजवाद का प्रयोग हुआ। इसी समय देश का सोना विदेशों में गिरवी रखना पड़ा। इसके बाद ग्लोबलाइजेशन के दौर में पूंजीवाद को बढ़ावा मिला। इससे शहरों का तो विकास हुआ किंतु गांव पिछड़ गए। अमीर और अमीर तथा गरीब और गरीब होने लगा। इससे निबटने का सबसे अच्छा तरीका सहकारवाद है। इससे ग्रामीणों और गरीबों सभी का विकास होगा।
वेयरहाउस के चेयरमैन अशोक बजाज ने कहा कि राज्य सरकार ने सहकारिता के महत्व को समझा है। इसी वजह से धान खरीदी से मध्यान्ह भोजन तक का काम सहकारिता के जरिए किया जा रहा है। समापन सत्र में राष्ट्रीय संगठन मंत्री विजय देवांगन ने कहा कि सहकारिता की वजह से विश्वस्तरीय आर्थिक मंदी के बाद भी भारत सुदृढ़ रहा। विकास के लिए सहकारिता को चुनना होगा।
अधिवेशन के दूसरे दिन आज सहकार भारती की प्रदेश इकाई की नई कार्यकारणी का गठन किया गया। सुधाकर राव कोंडापुरकर को प्रदेश अध्यक्ष, डॉ. लक्ष्मीकांत द्विवेदी को महामंत्री, नागेंद्र तिवारी और सुरेश देवांगन को उपाध्यक्ष, कनिराम नंदेश्वर को संगठन मंत्री, अरुणा दीक्षित और इंद्रपाल सिंह को सहमंत्री और दान सिंह देवांगन को प्रचार-प्रसार प्रमुख, विजय सोनी को कोषाध्यक्ष और नंदन जैन को सहकोषध्यक्ष बनाया गया। 16 लोगों को कार्यकारिणी सदस्य बनाया गया।

फिर आंदोलन की तैयारी में शिक्षक
रायपुर। दो वेतन वृद्धि की मांग की राज्य शासन से मंजूरी मिलने के बाद शिक्षक अब तिवारी कमेटी लागू करने की मांग को लेकर आंदोलन करेंगे। छत्तीसगढ़ शिक्षक कांग्रेस की राज्य स्तरीय बैठक में रविवार को इस बारे में निर्णय लिया गया। संघ के अनिल शुक्ला ने बताया कि लंबे समय से तिवारी कमेटी की रिपोर्ट मंजूरी का इंतजार कर ही है। शासन चुप्पी साधे बैठा है। शिक्षक आंदोलन के जरिये शासन का ध्यान उस रिपोर्ट की ओर आकृष्ट कराएंगे।
इसके लिए कर्मचारियों व शिक्षकों को 1 जुलाई 2010 से 10 प्रतिशत महंगाई भत्ता, छठवें वेतनमान के आधार पर समस्त भर्ती को पुनरीक्षित करने व शिक्षा कर्मियों के पद नाम परिवर्तित करने की मांग भी आंदोलन में शामिल रहेगी। राज्य स्तर पर राजधानी में प्रदर्शन किया जाएगा।

नक्सली उत्पात
बिलासपुर राउरकेला स्टेशन से लगभग 10 किलोमीटर दूर बंडामुंडा कुकड़ागेट के ए केबिन स्थित आटोमेटिक सिग्नल सिस्टम को नक्सलियों ने विस्फोट से उड़ा दिया। इससे हावड़ा-मुंबई मुख्य रेल मार्ग पर ट्रेन आवागमन 9 घंटे तक बाधित रहा।

शनिवार की रात लगभग 80 से 90 की संख्या में सशस्त्र पुरुष व महिला नक्सली ए केबिन में पहुंचे व केबिन में कार्यरत कर्मचारियों से वाकी-टाकी व मोबाइल लूट लिया। इसके बाद उन्होंने केबिन में लैंडमाइन लगाकर उसे उड़ा दिया। इसके बाद नक्सलियों ने जरेईकेला के पास रेल पटरी पर विस्फोट कर हावड़ा-मुंबई रेल मार्ग को प्रभावित कर दिया। घटना की जानकारी मिलने के बाद आरपीएफ, जीआरपी व सीआरपीएफ की टीम घटनास्थल पर पहुंची और खोजी कुत्तों व बम निरोधक दस्ता के साथ घटना स्थल की जांच की।
विस्फोट के बाद नक्सलियों ने बड़ी मात्रा में नक्सली पोस्टर चिपकाया,जिसमें पुलिस की बर्बरता का विरोध किया गया है। नक्सलियों ने पोस्टर में चेतावनी दी है कि जब तक पुलिस की बर्बरता जारी रहेगी नक्सली भी इस प्रकार की घटनाओं को अंजाम देते रहेंगे। नक्सलियों ने जरेईकेला में बंद पड़े आउटपोस्ट व बिसरा तहसील कार्यालय को भी बम से उड़ाने का प्रयास किया।
पुलिस को वहां से दो विस्फोट हुए केन बम के उपकरण मिले। शनिवार रात भर नक्सलियों ने बंडामुंडा से जरेईकेला तक जमकर उत्पात मचाया। घटना के बाद बंडामुंडा व राउरेकला से रेल अधिकारी घटनास्थल पहुंचे और केबिन में मरम्मत का कार्य शुरू करवाया। केबिन विस्फोट से टाटा-झारसुगुड़ा लिंक एक्सप्रेस, चक्रधरपुर सारंडा पेसेंजर व नागपुर टाटा पैसेंजर को रद्द करना पड़ा।
बिलासपुर आने वाली ट्रेनों पर असर
घटना के चलते बिलासपुर आने वाली ट्रेनें अनिश्चितकालीन विलंब से चलने लगी हैं। दरअसल ज्ञानेश्वरी हादसे के बाद से हावड़ा-मुंबई रूट की ट्रेनें 4 से 8 घंटे रिशेड्यूल होकर चल रही हैं। सुरक्षागत कारणों से राउरकेला-खड़गपुर सेक्शन में यात्री ट्रेनों की आवाजाही पर रात 10 बजे से सुबह 5 बजे तक प्रतिबंध लगा दिया गया है। कल की घटना के कारण शालीमार-एलटीटी, हावड़ा-अहमदाबाद, पुरी-हरिद्वार उत्कल, हावड़ा-पोरबंदर और हावड़ा-पुणो आजादहिंद एक्सप्रेस सुबह के बजाय रात में बिलासपुर पहुंची।
कौन सी ट्रेन कितनी लेट
18030, शालीमार-एलटीटी रिशेड्यूल होकर दोपहर में आती है, जो कि देर शाम 7 बजे बिलासपुर आई।
12834, हावड़ा-अहमदाबाद दोपहर के बजाय रात 8 बजे बिलासपुर पहुंची।
18477- पुरी-हरिद्वार उत्कल एक्सप्रेस दोपहर के बजाय देर शाम 7 बजे आई।
12906- हावड़ा- पोरबंदर एक्सप्रेस रिशेड्यूल होकर 2 बजे पहुंचती थी, यह ट्रेन रात 8:15 बजे बिलासपुर पहुंची।
12130- हावड़ा-पुणो आजादहिंद एक्सप्रेस रिशेड्यूल होकर शाम 4 बजे पहुंच रही थी, जो कि रात 8 बजे के बाद आई।

टाटा-इतवारी पैसेंजर रद्द
ब्लास्ट के चलते टाटानगर से इतवारी के लिए छूटने वाली टाटा पैसेंजर को टाटानगर में ही रद्द कर दिया गया। सोमवार को इतवारी से टाटानगर के लिए छूटने वाली टाटा पैसेंजर को भी रद्द कर दिया गया है।

अंधे कत्ल की अंधी जांच
बिलासपुर। सुशील पाठक की हत्या को पखवाड़े से अधिक समय गुजर गया, लेकिन पुलिस अब भी वहीं खड़ी है, जहां वह 19 दिसंबर की रात खड़ी थी। पहले दिन से अब तक आक्रोश से जूझ रही पुलिस की जांच कई मोड़ से गुजरी, लेकिन न कोई सबूत मिला, न सुराग और न ही वह हत्याकांड के दूसरे आरोपी तक पहुंच सकी। इस मामले में गिरफ्तार बादल खान से सेंट्रल जेल में पूछताछ की गई, लेकिन कोई नई बात पता नहीं चली।

सुशील पाठक हत्याकांड में पुलिस की जांच अभी भी बगैर दिशा के चल रही है। एक, दो नहीं, बल्कि दो दर्जन से अधिक लोगों की मोबाइल कॉल डिटेल निकालने के बाद भी उसे कोई ठोस सुराग हासिल नहीं हो सका है। रायपुर से आई स्पेशल टीम ने दयालबंद के दो युवकों से पूछताछ की थी, लेकिन उनसे भी कोई जानकारी नहीं मिली।
बादल खान की गिरफ्तारी और उसके इकबालिया बयान के बाद पुलिस की स्पेशल व लोकल टीम मामले की जांच में उलझी हुई है। इससे साबित होता है कि या तो बादल हत्याकांड का आरोपी नहीं है और अगर है तो इसमें उसका साथ देने वाले लोग पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं। पुलिस को हत्याकांड में इस्तेमाल हथियार और पाठक के मोबाइल की तलाश है, क्योंकि इस हत्याकांड में पुलिस के अब तक के खुलासे और उसकी बताई कहानी पर किसी को यकीन नहीं हो रहा है।
रायपुर और बिलासपुर की टीम हत्या के पखवाड़ेभर बाद कह रही है कि अभी भी जांच जारी है। तीन दिन पहले डीजीपी ने दावा किया था कि पुलिस कातिल के करीब है, लेकिन उन्हें क्या सुराग मिला, अफसर यह स्पष्ट बता पाने की स्थिति में नहीं हैं। स्पेशल टीम रविवार को कोरबा गई, जहां एक युवती से पूछताछ की जाएगी।
घटना अब तक
19 दिसंबर 2010: सरकंडा मेन रोड में चटर्जी गली के पास सुशील पाठक की लाश मिली। लाश मिलने के सिर्फ दो मिनट बाद खुलासा हो गया कि पाठक की गोली मारकर हत्या की गई है।
20 दिसंबर 2010 :पुलिस इस नतीजे पर पहुंची कि सुशील पाठक की हत्या उसके पड़ोसी बादल खान ने की है। पुलिस के शक की वजह पाठक का बादल खान से जमीन को लेकर चल रहा पुराना झगड़ा था। वारदात की खबर मिलने पर बादल खान फरार हो गया। पुलिस की भारी-भरकम जांच टीम बनाकर पाठक के मोबाइल की कॉल डिटेल खंगाली गई।
21 दिसंबर 2010:पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिलने और खाली कारतूस, खोखे की बरामदगी के बाद पुलिस बताती है कि पाठक की हत्या महंगी ऑटोमेटिक पिस्टल से की गई है। साथ ही पुलिस ने इसे एक हाई-प्रोफाइल मर्डर और सुपारी किलिंग का मामला बताया।
22 दिसंबर 2010:हत्याकांड की जांच में देरी और लापरवाही से गुस्साए पत्रकार और शहर के संगठनों ने आंदोलन शुरू किया। इसी शाम एसपी जयंत थोरात का तबादला आदेश जारी हुआ। शाम को बादल खान को पथरिया के पास एक गांव में पकड़ा गया।
23 दिसंबर 2010:वारदात के बाद से फरार बादल खान को पुलिस ने हिरासत में लिया। पुलिस के मुताबिक पूछताछ में उसने पाठक की हत्या की बात कबूल ली, लेकिन मामले को लेकर पुलिस के बयान संदिग्ध और अलग-अलग थे।
24 दिसंबर 2010:बादल खान को आरोपी घोषित करने के बाद पुलिस उसे घटना पंचनामा के बहाने मीडिया के सामने लेकर आई। बादल ने पुलिस और सैकड़ों लोगों की मौजूदगी में बताया कि उसने कैसे सुशील पाठक की हत्या की।
25 दिसंबर 2010:बादल को पूछताछ के नाम पर तीन दिनों की पुलिस रिमांड पर लिया गया। उसकी निशानदेही पर पुलिस ने सरकंडा इलाके में अरपा नदी के किनारों को छान मारा। लेकिन हत्या में इस्तेमाल ऑटोमेटिक पिस्टल और पाठक का मोबाइल नहीं मिला।
27 दिसंबर 2010:पुलिस रिमांड खत्म होने के बाद कोर्ट ने बादल खान की रिमांड तीसरी बार बढ़ाने की मांग ठुकरा दी। उसे कोर्ट के आदेश पर जेल भेज दिया गया।
28 दिसंबर 2010:राजधानी के क्राइम ब्रांच एएसपी अजातशत्रु बहादुर सिंह की अगुवाई में रायपुर की पांच सदस्यीय जांच टीम बिलासपुर पहुंची। पाठक का मोबाइल कॉल डिटेल खंगालने के साथ ही करीब दो दर्जन से अधिक लोगों से पूछताछ कर बयान दर्ज किए गए। इसके बाद से अब तक बयानों का सिलसिला जारी है। पाठक से बातचीत करने वाले दर्जनों लोगों की मोबाइल कॉल डिटेल निकाली जा चुकी है।

अनसुलझे सवाल
> पुलिस के मुताबिक बादल खान अकेले वारदात नहीं कर सकता, तो फिर और कौन है बादल के पीछे? आखिर सुशील पाठक के कत्ल की वजह क्या है?
> बादल का कोई क्रिमिनल रिकॉर्ड पुलिस के पास नहीं है तो फिर उसके पास महंगा ऑटोमेटिक पिस्टल कहां से आया?
> पुलिस की कहानी सच है तो फिर क्या सिर्फ जमीन के झगड़े में बादल इतनी बड़ी वारदात को अंजाम दे सकता है?
> एक के बाद एक चार गोलियां सामने से सीने और पेट में मारी गई। वारदात में अगर एक व्यक्ति का हाथ है तो अपने ऊपर हमला होते देख सुशील पाठक ने अपना बचाव नहीं किया होगा? वह भी तब, जब बादल ने वारदात से घंटेभर पहले शराब पीने की बात अपने बयान में कही थी।
> बादल अंबिकापुर के जिस युवक से पिस्टल खरीदने की बात कह रहा है, पुलिस अब तक उसके पास क्यों नहीं पहुंची?
> बादल के परिजन कह रहे हैं वे सुशील पाठक के अहसान तले दबे हैं, फिर बादल ने हत्या क्यों की?
> पहले पुलिस ने कहा ये प्रोफेशनल किलर का काम है और सुपारी किलिंग का मामला है, लेकिन बाद में वो पलट गई?
> सुशील की लाश उठाने के बाद पुलिस ने घटनास्थल को पानी से क्यों धुलवा दिया?
> कत्ल के बाद सुशील पाठक की कार और जैकेट की तलाशी ली गई। कातिल उसका मोबाइल क्यों ले गया?
> पाठक के जैकेट से फोरेंसिक जांच के लिए फिंगर प्रिंट क्यों नहीं लिया गया?
> वारदात से पहले और बाद एक सफेद कार को तेजी से जाते हुए देखा गया था। पुलिस को उसकी तलाश है। आखिर कार में कौन था?

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