शुक्रवार, 2 अप्रैल 2010

लता मंगेशकर

भारत को दुनिया ने देर से पहचाना-लता
‘भारत रत्न’ स्वर सम्राज्ञी लता मंगेशकर मानती हैं कि अच्छे काम की तुलना पुरस्कारों से नहीं की जा सकती, लेकिन उनका कहना है कि एआर रहमान ने ऑस्कर के बाद ग्रैमी पुरस्कार हासिल कर भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सफलता दिलाई है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय संगीत को मिल रही सफलता के बारे में लता ने मुंबई से कहा रहमान ने निश्चित तौर पर भारत को अंतरराष्ट्रीय मंच तक पहुँचाया है। बहुत खुशी होती है, जब कोई भारतीय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाता है। वे मानती हैं कि देश में प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय संगीत को सफलता काफी देर से मिली।
रहमान को 52वें ग्रेमी अवॉर्ड में ‘स्लमडॉग’ के संगीत से ‘बेस्ट कंपाइलेशन साउंड ट्रैक फॉर मोशन पिक्चर’ और ‘बेस्ट मोशन पिक्चर सॉन्ग’..‘जय हो’ के लिए दो ट्रॉफियों से नवाजा गया है। पिछले साल रहमान ने बाफ्टा में ‘गोल्डन ग्लोब’ और ऑस्कर में दो पुरस्कार हासिल किए थे।
पुरस्कार से ज्यादा मन की संतुष्टि जरूरी : लता ने कहा भारतीय संगीत को पहले ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहा जाना चाहिए था। भारतीय संगीत की व्यापकता को देखते हुए इसे काफी देर से पुरस्कार से नवाजा गया। हालाँकि वे पुरस्कारों के बजाय काम के प्रति संतुष्टि और अच्छा काम करने को तवज्जो देती हैं।
यह पूछे जाने पर कि भारत की स्वर सम्राज्ञी के तौर पर अंतरराष्ट्रीय अवॉर्ड ‘आस्कर’ और ‘ग्रैमी’ को वे कितनी अहमियत देती हैं, उन्होंने कहा मैं बढ़िया काम करने और अपनी खुशी के लिए काम करने में विश्वास रखती हूँ। अगर खुद को काम में मजा आ रहा है और संतुष्टि हो रही है तो इससे बढ़िया उपलब्धि या अवॉर्ड कुछ नहीं हो सकता। इससे आत्मा को शांति मिलती है।
वे मानती हैं कि भारत में कई बेहतरीन पुरस्कार हैं, जो काफी प्रतिष्ठित हैं इसलिए अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय पुरस्कार की अहमियत में कोई फर्क नहीं है।
उन्होंने कहा अगर अच्छा काम करते रहोगे तो पुरस्कार भी अपने आप मिलेंगे। लेकिन पुरस्कार से अच्छे काम की काबिलियत को नहीं तोला जा सकता। भारत में भी काफी प्रतिष्ठित पुरस्कार मौजूद हैं।
गानों में आया पीढ़ियों का फर्क : आधुनिक और पुराने दौर के गानों में लता हालाँकि काफी अंतर मानती हैं, लेकिन उन्हें लगता है कि पीढ़ियों के फर्क को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। उन्होंने हँसते हुए कहा हमारे जमाने में गाने का अर्थ हुआ करता था, लेकिन आजकल के गानों में यह बात आना जरूरी नहीं है।
मुझे हालाँकि आजकल का संगीत भी पसंद आता है, लेकिन इसमें कोई शक नहीं कि पुराने या फिर आप कहें हमारे जमाने का संगीत अब भी इतने समय बाद भी वैसी ही मिठास लिए हुए है।
लता ने 20 से ज्यादा भाषाओं में फिल्मी और गैरफिल्मी गीत गाए हैं। वे 30,000 से ज्यादा गाने गा चुकी हैं और अब भी उनके अंदर गाने को लेकर वैसा ही उत्साह भरा हुआ है लेकिन अब उन्होंने गाना पहले की बजाय कम कर दिया है।
संगीत ही जीवन है : उन्होंने कहा मैं मानती हूँ कि काम ही जीवन है, लेकिन मेरे लिए संगीत ही जीवन है। मैंने हालाँकि गाने गाना कम कर दिया है, पहले की तरह व्यस्त नहीं रहती, लेकिन मैं कभी भी संगीत से दूर नहीं रह सकती और मैं काम को ही जीवन मानती हूँ।

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