गुरुवार, 29 अप्रैल 2010

साइंस

सुराग में भविष्य

चारों तरफ पसरे खून के धब्बे, अस्त-व्यस्त कमरे में यहां-वहां फैले कागजात और अन्य सामान.., पर एक छोटे से चिथडे से वह सुराग मिल पाया, जिसकी बदौलत लंबे समय से परेशान पुलिस अधिकारियों ने राहत की सांस ली..। दरअसल, यह अपराधियों का पता मिलने की एक छोटी सी घटना है, जिन्हें आप अक्सर जासूसी फिल्मों, पत्र-पत्रिकाओं, टीवी सीरियलों में देखते-पढते होंगे। सचमुच देखने-सुनने वालों के लिए यह रोचक भी है और रोमांचक भी। लेकिन इस फील्ड में काम करने वाले एक्सप‌र्ट्स के लिए यह काम कडी चुनौतियों से भरा है। चूंकि वे इस खास काम में माहिर होते हैं, इसलिए बडी-बडी आपराधिक घटनाओं को पल में सुलझाना उनके बाएं हाथ का खेल होता है। यदि आप इस प्रोफेशन में आना चाहते हैं, यहां हैं आपके लिए ढेरों आकर्षक संभावनाएं।

बढती लोकप्रियता

फॉरेंसिक साइंस अप्लायड साइंस है। अपराधियों का पता लगाने के लिए वे वैज्ञानिक सिद्धांतों व तकनीकों का प्रयोग करते हैं। इस कार्य में उनकी मदद करते हैं अपराध स्थल से मिले साक्ष्यों मसलन, ब्लड, बॉडी फ्लूड, हेयर, फिंगरप्रिंट, फूट प्रिंट आदि। फॉरेंसिक एक्सपर्ट पुलिस के साथ मिलकर काम करते हैं। ऑर्गनाइज्ड क्राइम की बढती घटनाओं के कारण फॉरेंसिक एक्सपर्ट का काम दिनोंदिन कठिन होता जा रहा है। छात्रों के बीच करियर के लिहाज से फोरेंसिक साइंस विषय की लोकप्रियता लगातार बढ रही है।

योग्यता और कोर्स

यदि आप फॉरेंसिक साइंस के प्रोफेशन में एंट्री लेने का मन बना रहे हैं, तो इसके लिए जरूरी है कि आपका बैकग्राउंड साइंस का हो। यदि आप साइंस सब्जेक्ट से 10+2 कर चुके हैं, तो फॉरेंसिक साइंस में ग्रेजुएशन कर सकते हैं। फॉरेंसिक साइंस और क्रिमिनोलॉजी में एक वर्षीय डिप्लोमा कोर्स में भी दाखिला ले सकते हैं। फॉरेंसिक साइंस से पोस्टग्रेजुएशन कोर्स करने के लिए ग्रेजुएशन में फिजिक्स, केमिस्ट्री, जूलोजी, बॉटनी, बायोकेमिस्ट्री, माइक्रोबायोलॉजी, बीफार्मा, बीडीएस और अप्लायड साइंस में से किसी एक में 60 प्रतिशत अंक होना जरूरी है। यदि इससे संबंधित आगे की पढाई करना चाहते हैं, तो एमफिल और पीएचडी भी कर सकते हैं।

चुनौतियां हैं

यह प्रोफेशन चुनौतियों से भरा है, इसलिए जरूरी है कि आप उनसे अच्छी तरह निपटना जानते हों। अच्छी कम्युनिकेशन स्किल, विश्लेषणात्मक क्षमता जरूर होनी चाहिए। एमिटी यूनिवर्सिटी, नोएडा के इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस फॉरेंसिक साइंस रिसर्च ऐंड ट्रेनिंग के डायरेक्टर बीके चट्टोपाध्याय के अनुसार, इस क्षेत्र में बेहतर करने के लिए जरूरी है कि आप नॉर्मल लाइफ की घटनाओं से अलग सोचने की क्षमता रखते हों। वे आगे कहते हैं किसी भी फील्ड में आप जाएं, कम्युनिकेशन स्किल आज मुख्य डिमांड बन गई है। इस तरह के कैंडिडेट अच्छा कर सकते हैं। जो अच्छी तार्किक सोच रखते हैं, किसी भी पहलू पर बारीकी से विचार कर सकते हैं और अलर्ट माइंड के हैं, तो उनके लिए काफी अच्छी संभावनाएं हैं।

शिक्षण संस्थान

देश के विभिन्न संस्थानों में फॉरेंसिक साइंस से जुडे कोर्सेज में दाखिला ले सकते हैं। जैसे, लोकनायक जयप्रकाश नारायण नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ क्रिमिनोलॉजी ऐंड फॉरेंसिक साइंस, दिल्ली, डॉक्टर हरि सिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर, मध्यप्रदेश, डिपार्टमेंट ऑफ फॉरेंसिक साइंस, पंजाब यूनिवर्सिटी, यूनिवर्सिटी ऑफ दिल्ली, यूनिवर्सिटी ऑफ लखनऊ आदि।

संभावनाएं

ज्यादातर फॉरेंसिक साइंस एक्सपर्ट पुलिस डिपार्टमेंट्स, लीगल एजेंसीज और इन्वेस्टिगेटिव एजेंसीज में ही काम करना पसंद करते हैं। इसके अलावा, वे प्राइवेट डिटेक्टिव एजेंसीज से भी जुड सकते हैं। स्टेट फॉरेंसिक डिपार्टमेंट में स्टेट पब्लिक सर्विस कमीशन एग्जाम के माध्यम से प्रोफेशनल्स की नियुक्ति होती है। फॉरेंसिक साइंस की अलग-अलग शाखाओं मसलन, फॉरेंसिक एंथ्रोपोलॉजी, फॉरेंसिक आर्कियोलॉजी, फॉरेंसिक सेरोलॉजी में आप चाहें, तो जॉब की अच्छी संभावनाएं तलाश सकते हैं। क्रिमिनोलॉजी से जुडे टीचर्स भी अभी काफी कम संख्या में हैं, यह विषय टीचिंग फील्ड से जुडने के लिए काफी उपयुक्त है।

यदि गवर्नमेंट एजेंसी की बात करें, तो फॉरेंसिक साइंटिस्ट के लिए इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी), सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (सीबीआई), स्टेट पुलिस फोर्स के क्राइम सेल में, गवर्नमेंट व स्टेट फॉरेंसिक लैब, प्राइवेट डिटेक्टिव एजेंसी आदि में काम करने का भरपूर मौका है। हां, यदि आप दिल्ली स्थित सीबीआई इन्वेस्टिगेटिव टीम के सदस्य बनने की ख्वाहिश रखते हैं, तो आप संघ लोक सेवा आयोग आयोजित परीक्षा को क्वालिफाई कर देश की इस प्रतिष्ठित संस्था का हिस्सा बन सकते हैं।

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