बुधवार, 6 जनवरी 2010

विचार मंथन

बदनाम होंगे तो क्या नाम न होगा!
अरुण बंछोर
कहा जाता है कि 'बदनाम होंगे तो क्या नाम न होगा'। अब यह जुमला आंध्र प्रदेश के पूर्व गवर्नर और कांग्रेस के सीनियर लीडर नारायण दत्त तिवारी पर काफी फिट बैठता है। तिवारी ने कभी सोचा भी नहीं होगा कि सात समंदर पार के भी अखबारों में उनकी चर्चा होगी लेकिन तथाकथित सेक्स स्कैंडल में नाम आने के बाद कुछ ऐसा ही हुआ।

ब्रिटेन के फेमस न्यूजपेपर द सन उन्हें लेकर एक न्यूज दी है। इसकी हेडिंग इंग्लिश में ऑर्गी मिनिस्टर 86 दिया गया है। इसका अर्थ है भोगी मंत्री, 86 है। इस न्यूज में बताया गया है कि आंध्र प्रदेश के गवर्नर ने किस प्रकार सेक्स स्कैंडल में फंसने के बाद इस्तीफा दिया। जबकि इस्तीफे का कारण बताया जाता रहा उनकी हेल्थ को।

इस न्यूज को पढ़ने के बाद ब्रिटेन में रह रहे इंडियंस को काफी शर्मिदगी का सामना करना पड़ा। हालांकि अधिकांश भारतीयों के लिए यह खबर किसी चटपटे मसाले से कम नहीं थी।

वैसे इंडिया में भी यह खबर काफी चटखारे के साथ पढ़ी जा रही है। लोगों की जुबान पर बस एक ही सवाल था कि लाइफ के अस्सी बसंत देखने के बाद भी तिवारी जी इतने रंगीन मिजाज कैसे हैं?

इस केस में कौन सही है और कौन गलत यह कहना तो कठिन है लेकिन जब यह स्कैंडल सामने आया था तो तिवारी ने चैनल पर मानहानि का दावा करने की बात कही थी लेकिन बाद में वे अपनी बात से पलट गए। उन्होंने कहा कि उन्हें किसी पर कोई केस नहीं करना है। भगवान ही उसे सजा देगा। आपको बता दें कि पिछले माह आंध्र प्रदेश के एक न्यूज चैनल ने जैसे ही तिवारी से जुड़ी हुई क्लिंपिंग दिखाना शुरू किया, पूरे देश में बवाल मच गया। हाईकोर्ट तुरंत हरकत में आया और इस क्लिपिंग पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी गई। इस केस में बाद तिवारी इतने बदनाम हो गए कि यह क्लिपिंग सबसे अधिक देखी जाने वाली क्लिपिंग बन गई। इस मामले में उन्होंने टाइगर वुड्स को भी पीछे छोड़ दिया।

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